Class 10 Chapter 1 विकास Notes or questions अर्थशास्त्र in Hindi

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“विकास"

याद रखने योग्य बातें :-

1. अर्थव्यवस्था - एक ढाँचा जिसके अन्तर्गत लोगों की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।
2. आर्थिक विकास, एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक अर्थव्यवस्था की वास्तविक प्रति व्यक्ति आय' दीर्घ अवधि में बढ़ती है।
3. लोगों या समूहों का प्राथमिक लक्ष्य - अधिक आय पाना। इसके अतिरिक्त बराबरी, स्वतंत्रता, सुरक्षा व आदर भाव अन्य लक्ष्य हैं।
4. आर्थिक नियोजन - देश के साधनों का लाभ उठाकर देश के विकास को योजनाबद्ध रूप से बढ़ाना।
5. प्रतिव्यक्ति आय. कुल राष्ट्रीय आय
या :-
औसत आय कुल जनसंख्या

6. देशों के मध्य तुलना करने के लिए उनकी आय सबसे महत्त्वपूर्ण विशिष्टता
समझी जाती है।
7. देशों के मध्य विकास को नापने के लिए औसत आय के साथ सार्वजनिक सुविधाओं की उपलब्धता, स्वास्थ्य सेवाएँ, जन्म व मृत्यु दर, जीवन
प्रत्याशा, प्रदूषण मुक्त वातावरण आदि मानकों का भी प्रयोग किया जाता
8.प्रत्येक देश के लिए औसत आय की गणना, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा डॉलर में की
जाती है।

 


1 अंक वाले प्रश्न :-

1. अन्य राज्यों की अपेक्षा केरल में शिशु मृत्यु दर कम क्यों है?

उत्तर :- यहाँ स्वास्थ्य व शिक्षा सुविधाओं की बेहत्तर व्यवस्था है।


2. क्या सिर्फ औसत आय के आधार पर विकास की गणना करना सही है?

उत्तर :- नहीं, क्योंकि उससे आय की असमानताओं का पता नहीं चलता।

 

3. जीवन प्रत्याशा से क्या अभिप्राय है?

उत्तर :- व्यक्ति के संभावित जीवित रहने का औसत वर्ष।

 

4. जी.डी. पी (GDP) का क्या अर्थ है?

उत्तर :- किसी देश का सकल घरेलु उत्पाद।

 

5. भारत में सर्वाधिक उच्च मानव विकास सूचकांक किस राज्य का है?

उत्तर :- केरल राज्य का।

 

6. मानव विकास सूचकांक की गणना किस संगठन के द्वारा की जाती है ?

उत्तर :- यून.डी.पी. (UNDP)

 

7. सार्वजनिक वितरण प्रणाली क्या है?

उत्तर :- राशन वितरण की वह प्रणाली जिसके द्वारा उचित मूल्यों पर गरीबों को सरकारी दुकानों के माध्यम से राशन वाँटा जाता है।

 

8. जन सुविधाओं का क्या अर्थ है? ।

उत्तर :- वे सुविधाएं जो मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक होती हैं।


9. अनवीकरणीय संसाधनों का उचित उपयोग क्यों जरूरी है ?

उत्तर :- क्योंकि ये संसाधन सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं और इन्हें पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता।

 

3/5 अंक वाले संभावित प्रश्न :-

1. "विकास के लक्ष्य भिन्न-भिन्न होते हैं और कभी कभी ये परस्पर विरोधी भी हो सकते है", इस कथन को स्पष्ट करो।

उत्तर :- प्रत्येक व्यक्ति या समूह के विकास के लक्ष्य भिन्न भिन्न हो सकते है और कई बार इनकी प्रकृति परस्पर विपरीत भी हो सकती है। एक के लिए
विकास का लक्ष्य दूसरे के लिए विनाश का कारण भी बन सकता है। उदाहरण नदी पर बाँध बनाना, वहाँ के किसानों के विस्थापन का कारण बन सकता है।

 

2. एक विकासशील और विकसित देश की मुख्य विशेषताएँ क्या होती है?

उत्तर :- विकसित देश:-
1. नई तकनीक व विकसित उद्योग।
2. उच्च स्तरीय रहन-सहन
3. उच्च प्रति व्यक्ति आय
4. साक्षरता दर उच्च।
5. लोगों की स्वास्थ्य स्थिति बेहतर (जन्मदर, मृत्यु दर पर नियंत्रण)

विकासशील देश :-
1. औद्योगिक रूप से पिछड़े हुए।
2. निम्न प्रति व्यक्ति आय।
3. साक्षरता दर निम्न
4. सामान्य रहन-सहन।
5. बेहतर स्वास्थ्य का अभाव (अधिक मृत्यु दर)

 

3. आय के अतिरिक्त और कौन से कारक हैं जो हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उत्तर :- आय के अतिरिक्त बेहतर जीवन के लिए परिवार, रोजगार, मित्रता, सुरक्षा व समानता की भावना, शांतिपूर्ण माहोल आदि भी महत्वपूर्ण हैं।
क्योंकि मुद्रा से केवल भौतिक वस्तुएँ ही खरीदी जा सकती हैं।

 

4. आर्थिक विकास के लिए साक्षरता क्यों अनिवार्य है ? स्पष्ट कीजिए.

उत्तर :- इससे ज्ञान व दक्षता प्राप्त होती है।
रोजगार का स्तर बढ़ता है।
नई तकनीकों का प्रयोग व स्तर बढ़ता है।
लोगों में स्वास्थ्य, पर्यावरण आदि के प्रति.
जागरूकता बढ़ती है।
नए-नए उद्योगों को स्थापित करने की क्षमता बढ़ती है।

 

5. निम्नलिखित को स्पष्ट कीजिए -
क) शिशु मृत्यु दर
ब) निवल उपस्थिति अनुपात
ग) साक्षरता दर
घ) बी.एम.आई.

उत्तर :- क) शिशु मृत्यु दर किसी वर्ष में पैदा हुए 1000 जीवित बच्चों में से एक वर्ष की आयु से पूर्व मरने वाले शिशुओं का अनुपात।
ख) निवल उपस्थिति अनुपात - 6-10 वर्ष की आयु के स्कूल जाने वाले कुल बच्चों का उस आयु वर्ग के कुल बच्चों के साथ प्रतिशत/अनुपात।
ग) साक्षरता दर 7 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में साक्षर जनसंख्या का अनुपात।
घ) बी.एम.आई. शरीर द्रव्यमान सूचकांक। पोषण वैज्ञानिक, किसी व्यस्क के अल्पपोषित होने की जाँच कर सकते है।


6. विकास की धारणीयता से क्या अभिप्राय है?
विकास की धारणीयता की चार विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?

उत्तर :- विकास की धारणीयता से अभिप्राय है कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना विकास करना तथा वर्तमान पीढियो जरूरतों के साथ-साथ भावी
पीढ़ियों की जरूरतों का व्यान ध्यान में रखना। विशेषताएं:-
1) संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग।
2) नवीकरणीय संसाधनों का अधिकतम उपयोग।
3) वैकल्पिक संसाधनों को ठंढने में मदद।
4) संसाधनों के पुनः उपयोग व चक्रिया प्रक्रिया को बढ़ावा।


7 . "जो महिलाएँ वेतन योगी कार्य करती है, वह एक ऐसे लोगों का उदाहरण है जो मिले जुले लक्ष्यों को पूरा करते है ? इस कथन का विश्लेषण करें।

उत्तर :- 1) वेतन भोगी महिलाओं का घर और समाज में आदर बढ़ता है।
2) उनके काम-काज में हाथ बँटाया जाएगा।
3) वेतनभोगी महिलाओं को अधिक स्वीकार किया जाएगा।
4) यदि वातावरण सुरक्षित है तो ज्यादा महिलाएं नौकरी कर सकती है।
5) अपने परिवार का जीवन स्तर सुधार सकती हैं।


8. "जेब में रखा रुपया वे सब वस्तुएँ और सेवाएं नहीं खरीद सकता है, जिसकी आवश्यकता आपको एक बेहतर जीवन के लिए हो सकती है।" क्या आप इस कथन से सहमत हैं? विवेचना करें।

उत्तर :- सहमत
1) जेब में रखा रुपया सब कुछ नहीं खरीद सकता।
2) प्रदूषण मुक्त वातावरण नहीं खरीद सकता।
3) संक्रमक बीमारियों से नहीं बचा जा सकता जब तक समाज कदम नहीं उठाता।
4) अभौतिक वस्तुएँ आदर, सम्मान, सुरक्षा, स्वतंत्रता आदि भी नहीं पा सकते।
5) जीवन की खुशियाँ मुद्रा नहीं खरीद सकती।

 


प्रश्न अभ्यास

पाठ्यपुस्तक से



प्रश्न 1. सामान्यतः किसी देश का विकास किस आधार पर निर्धारित किया जा सकता है
(क) प्रतिव्यक्ति आय
(ख) औसत साक्षरता स्तर
(ग) लोगों की स्वास्थ्य स्थिति
(घ) उपरोक्त सभी उत्तर

उत्तर :-
(घ) उपरोक्त सभी। प्रश्न


प्रश्न 2. निम्नलिखित पड़ोसी देशों में से मानव विकास के लिहाज से किस देश की स्थिति भारत से बेहतर है?
(क) बांग्लादेश ।
(ख) श्रीलंका
(ग) नेपाल
(घ) पाकिस्तान

उत्तर :-
(ख) श्रीलंका।


प्रश्न 3. मान लीजिए कि एक देश में चार परिवार हैं। इन परिवारों की प्रतिव्यक्ति आय 5,000 रुपये हैं। अगर तीन परिवारों की आय क्रमशः 4,000, 7,000 और 3,000 रुपये हैं, तो चौथे परिवार की आय क्या है?
(क) 7,500 रुपये
(ख) 3,000 रुपये
(ग) 2,000 रुपये
(घ) 6,000 रुपये

उत्तर :-
(घ) 6,000 रुपये।

 

प्रश्न 4. विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए किस प्रमुख मापदंड का प्रयोग करता है? इस मापदंड की, अगर कोई है, तो सीमाएँ क्या हैं?

उत्तर :- विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए किसी देश की आय को प्रमुख मापदंड मानता है। जिन देशों की आय ।
अधिक है, उन्हें अधिक विकसित समझा जाता है और कम आय के देशों को कम विकसित । ऐसा माना जाता है कि अधिक आय का अर्थ है-इंसान की जरूरतों की सभी चीजें प्रचुर मात्रा में उपलब्ध की जा सकती हैं। जो भी लोगों को पसंद है और जो उनके पास होना चाहिए, वे उन सभी चीजों को अधिक आय के जरिए प्राप्त कर पाएँगे। इसलिए ज्यादा आय विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने का प्रमुख मापदंड माना जाता है।

विश्व बैंक की ‘विश्व विकास रिपोर्ट, 2006’ में, देशों का वर्गीकरण करने में इस मापदंड का प्रयोग किया गया है। वे देश जिनकी 2004 में प्रतिव्यक्ति आय 10,066 डॉलर प्रतिवर्ष या उससे अधिक है, समृद्ध देश हैं और वे देश जिनकी प्रतिव्यक्ति आय 825 डॉलर प्रतिवर्ष या उससे कम है, उन्हें निम्न आय देश कहा गया है। भारत निम्न आय देशों के वर्ग में आता है, क्योंकि उसकी प्रतिव्यक्ति आय 2004 में केवल 620 डॉलर प्रतिवर्ष थी।

सीमाएँ- विभिन्न देशों का वर्गीकरण करने के लिए किसी देश की राष्ट्रीय आय को अच्छा मापदंड नहीं माना जा सकता, क्योंकि विभिन्न देशों की जनसंख्या विभिन्न होती है। कुल आय की तुलना करने से हमें यह पता नहीं चलेगा कि औसत व्यक्ति क्या कमा सकता है। इससे हमें विभिन्न देशों के लोगों की परिस्थितियों का भी पता नहीं चल पाता। इसलिए
राष्ट्रीय आय वर्गीकरण का अच्छा मापदंड नहीं है।

 

प्रश्न 5. विकास मापने का यू०एन०डी०पी० का मापदंड किन पहलूओं में विश्व बैंक के मापदंड से अलग है?

उत्तर :- विश्व बैंक का मापदंड केवल ‘आय’ पर आधारित है। इस मापदंड की बहुत-सी सीमाएँ हैं। आय के अतिरिक्त भी कई अन्य मापदंड हैं जो विकास मापने के लिए जरूरी हैं, क्योंकि मनुष्य केवल बेहतर आय के बारे में ही नहीं सोचता, बल्कि वह अपनी सुरक्षा, दूसरों से आदर और बराबरी का व्यवहार पाना, आजादी आदि जैसे अन्य लक्ष्यों के बारे में भी सोचता है।

यू०एन०डी०पी० द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट में विकास के लिए निम्नलिखित मापदंड अपनाए गए

1. लोगों का स्वास्थ्य- मानव विकास का प्रमुख मापदंड है स्वास्थ्य या दीर्घायु । विभिन्न देशों के लोगों की जीवन प्रत्याशा जितनी अधिक होगी, वह मानव विकास की दृष्टि से उतना ही अधिक विकसित देश माना जाएगा।

2. शैक्षिक स्तर- मानव विकास का दूसरा प्रमुख मापदंड शैक्षिक स्तर है। किसी देश में साक्षरता की दर जितनी ज्यादा होगी वह उतना ही विकसित माना जाएगा और यह दर यदि कम होगी तो उस देश को अल्पविकसित कहा जाएगा।

3. प्रतिव्यक्ति आय- मानव विकास का तीसरा मापदंड है प्रतिव्यक्ति आय । जिस देश में प्रतिव्यक्ति आय अधिक होगी उस देश में लोगों का जीवन स्तर भी अच्छा होगा और अच्छा जीवन स्तर विकास की पहचान है। जिन देशों में लोगों की प्रतिव्यक्ति आय कम होगी, लोगों का जीवन स्तर भी अच्छा नहीं होगा। ऐसे देश को विकसित देश नहीं माना जा सकता।

कई वर्षों के अध्ययन के बाद यू०एन०डी०पी० ने विश्व के 173 देशों का मूल्यांकन इन आधारों पर किया-53 देशों को उच्च मानव विकास की श्रेणी में, 84 देशों को मध्यम मानव विकास की श्रेणी में तथा 26 देशों को मानव विकास के निम्न स्तर पर रखा।

 

प्रश्न 6. हम औसत का प्रयोग क्यों करते हैं? इनके प्रयोग करने की क्या कोई सीमाएँ हैं? विकास से जुड़े अपने उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :- औसत का प्रयोग किसी भी विषय या क्षेत्र का अनुमान विभिन्न स्तरों पर लगाने के लिए किया जाता है। जैसे-किसी देश में सभी लोग अलग-अलग आय प्राप्त करते हैं किंतु देश के विकास स्तर को जानने के लिए प्रतिव्यक्ति आय निकाली जाती है जो औसत के माध्यम से ही निकाली जाती है। इससे हमें एक देश के विकास के स्तर का पता चलता है। किंतु औसत का प्रयोग करने में कई समस्याएँ आती हैं। औसत से किसी भी चीज़ का सही अनुमान नहीं लगाया जा सकता। इसमें असमानताएँ छिप जाती हैं। उदाहरणतः किसी देश में रहनेवाले चार परिवारों में से तीन परिवार 500-500 रुपये कमाते हैं तथा एक परिवार 48,000 रुपये कमा रहा है जबकि दूसरे देश में सभी परिवार 9,000 और 10,000 के बीच में कमाते हैं। दोनों देशों की औसत आय समान है किंतु एक देश में आर्थिक असमानता बहुत ज्यादा है, जबकि दूसरे देश में सभी नागरिक आर्थिक रूप से समान स्तर के हैं। इस प्रकार ‘औसत’ तुलना के लिए तो उपयोगी है किंतु इससे असमानताएँ
छिप जाती हैं। इससे यह पता नहीं चलता कि यह आय लोगों में किस तरह वितरित है। प्रश्न

 
प्रश्न 7. प्रतिव्यक्ति आय कम होने पर भी केरल का मानव विकास क्रमांक पंजाब से ऊँचा है। इसलिए प्रतिव्यक्ति आय एक उपयोगी मापदंड बिल्कुल नहीं है और राज्यों की तुलना के लिए इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। क्या आप सहमत हैं? चर्चा कीजिए।

उत्तर :- यदि व्यक्तिगत आकांक्षाओं और लक्ष्यों को देखा जाए तो हम पाते हैं कि लोग केवल बेहतर आय के विषय में ही नहीं
सोचते बल्कि वे अपनी सुरक्षा, दूसरों से आदर और बराबरी का व्यवहार पाना, आजादी इत्यादि अन्य लक्ष्यों के बारे में भी सोचते हैं। इसी प्रकार जब हम किसी देश के विकास के बारे में सोचते हैं तो औसत आय के अलावा अन्य लक्षणों को भी देखते हैं।

 

प्रश्न 8. भारत के लोगों द्वारा ऊर्जा के किन स्रोतों का प्रयोग किया जाता है? ज्ञात कीजिए। अब से 50 वर्ष पश्चात् क्या संभावनाएँ हो सकती हैं?

उत्तर :- भारत के लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे ऊर्जा के वर्तमान स्रोत निम्नलिखित हैं

1. कोयला- कोयले का प्रयोग ईंधन के रूप में तथा उद्योगों में कच्चे माल के रूप में किया जाता है। वाष्प इंजन जिसमें कोयले का प्रयोग होता है, रेलों और उद्योगों में काम में लाया जाता है।

2. खनिज तेल- खनिज तेल का प्रयोग सड़क परिवहन, जहाजों, वायुयानों आदि में किया जाता है। तेल को परिष्कृत | करके डीजल, मिट्टी का तेल, पेट्रोल आदि प्राप्त किए जाते हैं।

3. प्राकृतिक गैस- प्राकृतिक गैस का भी अब शक्ति के साधन के रूप में बहुत प्रयोग किया जाने लगा है। गैस को पाइपों के सहारे दूर-दूर के स्थानों पर पहुँचाया जाता है। इससे अनेक औद्योगिक इकाइयाँ चल रही हैं।

4. जल विद्युत- यह ऊर्जा का नवीकरणीय संसाधन है। अब तक ज्ञात सभी संसाधनों में यह सबसे सस्ता है। इसका प्रयोग घरों, दफ्तरों तथा औद्योगिक इकाइयों में बड़े पैमाने पर किया जाता है।

5. ऊर्जा के अन्य स्रोत- ऊर्जा के कुछ ऐसे स्रोत भी हैं जिनका प्रयोग अभी कुछ समय पूर्व से ही किया जाने लगा है। ये सभी स्रोत नवीकरणीय हैं। जैसे-पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, बायोगैस, भूतापीय ऊर्जा आदि।

ऊर्जा के अधिकांश परंपरागत साधनों का प्रयोग लंबे समय से हो रहा है। ये सभी स्रोत अनवीकरणीय हैं अर्थात् एक बार प्रयोग करने पर समाप्त हो जाते हैं। इनकी पुनः पूर्ति संभव नहीं है। आनेवाले 50 वर्षों में ये संसाधन यदि इसी तरह इस्तेमाल किए जाते रहे, तो समाप्तप्राय हो जाएँगे। यदि हमें इन संसाधनों को बचाना है तो ऊर्जा के नए और नवीकरणीय संसाधनों को खोजकर उनका अधिकाधिक प्रयोग करना होगा।

 
प्रश्न 9. धारणीयता का विषय विकास के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?

उत्तर :- धारणीयता से अभिप्राय है सतत पोषणीय विकास अर्थात् ऐसा विकास जो वर्तमान पीढ़ी तक ही सीमित न रहे बल्कि आगे
आनेवाली पीढ़ी को भी मिले । वैज्ञानिकों का कहना है कि हम संसाधनों का जैसे प्रयोग कर रहे हैं, उससे लगता है कि संसाधन शीघ्र समाप्त हो जाएँगे और आगे आने वाली पीढ़ी के लिए नहीं बचेंगे। यदि हमें विकास को धारणीय बनाना है। अर्थात् निरंतर जारी रखना है, तो हमें संसाधनों का प्रयोग इस तरह से करना होगा जिससे विकास की प्रक्रिया निरंतर जारी रहे और भावी पीढ़ी के लिए संसाधन बचे रहें।

 
प्रश्न 10. धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन एक भी व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। यह कथन विकास की चर्चा में कैसे प्रासंगिक है? चर्चा कीजिए।

उत्तर :- पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के साधन पाए जाते हैं जिनका उपयोग मनुष्य अपनी विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के
लिए करता है। तब ये साधन संसाधन बन जाते हैं। ये संसाधन सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं। यदि मनुष्य बुद्धिमत्ता से इन संसाधनों का प्रयोग करे तो वह अपनी सभी जरूरतों को पूरा कर सकता है। यदि संसाधनों का दुरुपयोग न किया जाए तो इनका प्रयोग करके विकास की प्रक्रिया को निरंतर जारी रखा जा सकता है। किंतु यदि इन संसाधनों का प्रयोग निजी लाभ के लिए किया जाए तो हो सकता है कि ये एक व्यक्ति के लाभ को भी पूरा न कर पाएँ । यदि इन संसाधनों का अंधाधुंध प्रयोग किया गया तो ये समाप्त हो जाएँगे। अनवीकरणीय संसाधन जो सीमित हैं और जिनका एक बार प्रयोग करने पर वे खत्म हो जाते हैं, उनका प्रयोग सोच-समझकर करना होगा। इनका प्रयोग करते समय हमें आगे आनेवाली पीढ़ी की आवश्यकताओं को ध्यान में रखना होगा। इस प्रकार उपरोक्त कथन से हम यह सीख निकालते हैं कि प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग केवल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाए, न कि निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए। इससे ये संसाधन
शीघ्र समाप्त हो जाएँगे और विकास की प्रक्रिया रुक जाएगी।


प्रश्न 11. पर्यावरण में गिरावट के कुछ ऐसे उदाहरणों की सूची बनाइए जो आपने अपने आसपास देखे हों।

उत्तर :- कूड़े-कचरे और अवांछित गंदगी से जल, वायु और भूमि का दूषित होना ‘पर्यावरण प्रदूषण’ कहलाता है। पर्यावरण में गिरावट के बहुत से उदाहरण हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं

1. जल प्रदूषण- नदियों, झीलों और समुद्रों में बहाए गए कूड़े-कचरे या औद्योगिक अपशिष्ट जल को प्रदूषित करते हैं। इससे जल में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने से जलीय जीव मर जाते हैं। जहाजों से रिसनेवाले तेल से समुद्री जीवों को हानि होती है।

2. वायु प्रदूषण- कारखानों के धुएँ तथा मोटर वाहनों के धुएँ वायु को प्रदूषित करते हैं। इससे मानव स्वास्थ्य और वन्य | जीवन दोनों को ही हानि होती है।

3. भूमि प्रदूषण- भूमि पर कारखानों द्वारा, घरों या अन्य स्रोतों द्वारा कूड़ा-कचरा आदि फेंकने से पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। कृषि क्षेत्रों में अधिक उर्वरकों का प्रयोग करने से भूमि की उपजाऊ शक्ति खत्म होती है तथा ये उर्वरक भूमि को प्रदूषित करते हैं।

बढ़ती हुई जनसंख्या, संसाधनों का दुरुपयोग, अधिक मात्रा में पेड़ों को काटने के कारण पर्यावरण में गिरावट बहुत तेजी से हो रही है और इसके बहुत से उदाहरण हमारे आसपास हैं।

 

 

 

 

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